बताया जाता है कि यह लॉन्ग मार्च सीरीज कैरियर रॉकेट का 424वां लॉन्च था। इससे पहले 6 नवंबर को चीन ने 3 याओगन-35 सैटेलाइट्स का एक बैच लॉन्च किया था। लॉन्ग मार्च कैरियर रॉकेट सीरीज को चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन (CASC) ने डेवलप किया है। चीन के 96.4 फीसदी सैटेलाइट लॉन्च इसी रॉकेट के जरिए किए गए हैं।
गौरतलब है कि चीन अपने अंतरिक्ष मिशनों को बहुत तेजी से आगे बढ़ा रहा है। वह मंगल ग्रह पर भी मिशन को आगे बढ़ा रहा है। चीन के मार्स सैंपल रिटर्न मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह से नमूनों को इकट्ठा करना और उन्हें 2031 तक पृथ्वी पर वापस लाना है। ये NASA और ESA के संयुक्त मिशन से दो साल जल्दी है। एजेंसी के मुख्य डिजाइनर ने 20 जून को एक प्रेजेंटेशन के जरिए इसकी पुष्टि की थी। कहा जा रहा है कि इस मल्टी-लॉन्च मिशन में संयुक्त नासा-ईएसए प्रोजेक्ट की तुलना में सरल आर्किटेक्चर होगा, जिसमें सिंगल मार्स लैंडिंग होगी और विभिन्न साइटों से सैंपल कलेक्शन करने वाले कोई रोवर नहीं होंगे।
यही नहीं, चीन दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप भी लगाने की तैयारी कर चुका है। चीन और अमेरिका का तनाव किसी से छुपा नहीं है लेकिन तकनीकी के मामले में भी चीन अमेरिका से पीछे नहीं रहना चाहता है। चीन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से 10 कदम आगे निकलने की तैयारी कर चुका है और सब उसके प्लान के मुताबिक हुआ तो वह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप जल्द ही स्थापित करने में कामयाब हो जाएगा। चीन ने इसे वेरी लार्ज एरिया गामा रे स्पेस टेलीस्कोप (Very Large Area gamma-ray Space Telescope) का नाम दिया है। इसका संक्षिप्त नाम VLAST रखा गया है। टेलीस्कोप का कुछ हिस्सा बनकर तैयार भी हो चुका है।
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